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श्रीलंका की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब देश के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को आपराधिक जांच विभाग (CID) ने गिरफ्तार कर लिया। 76 वर्षीय विक्रमसिंघे पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए अपनी एक निजी विदेश यात्रा के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया था, जिसने देश में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

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श्रीलंका में सियासी भूचाल: पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे गिरफ्तार, सरकारी खजाने के दुरुपयोग का गंभीर आरोप
श्रीलंका में सियासी भूचाल: पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे गिरफ्तार, सरकारी खजाने के दुरुपयोग का गंभीर आरोप

श्रीलंका की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब देश के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को आपराधिक जांच विभाग (CID) ने गिरफ्तार कर लिया। 76 वर्षीय विक्रमसिंघे पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए अपनी एक निजी विदेश यात्रा के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया था, जिसने देश में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला सितंबर 2023 का है, जब रानिल विक्रमसिंघे अपनी पत्नी प्रोफेसर मैत्री विक्रमसिंघे के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए इंग्लैंड गए थे। CID का आरोप है कि यह उनकी एक निजी यात्रा थी, लेकिन इसके लिए किए गए कुछ भुगतानों में सरकारी खजाने का पैसा इस्तेमाल किया गया। जांच एजेंसी का दावा है कि विक्रमसिंघे की निजी यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा में लगे गार्ड्स का खर्च सरकारी फंड से दिया गया, जो कि नियमों का उल्लंघन है।

विक्रमसिंघे ने आरोपों को बताया निराधार

गिरफ्तारी के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह यात्रा पूरी तरह से निजी थी और उनकी पत्नी की यात्रा का सारा खर्च उन्होंने खुद उठाया था। उन्होंने दावा किया कि इसमें सरकारी धन का कोई दुरुपयोग नहीं किया गया। हालांकि, CID अपने दावों पर अड़ी हुई है और इसी सिलसिले में विक्रमसिंघे के कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई है। उन्हें अब कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।

कौन हैं रानिल विक्रमसिंघे?

रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के एक अनुभवी राजनेता हैं। वह जुलाई 2022 में उस समय राष्ट्रपति बने थे जब देश अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को जनता के भारी विरोध के बाद देश छोड़कर भागना पड़ा था। विक्रमसिंघे को देश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था को स्थिर करने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि, हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस गिरफ्तारी ने उनकी छवि पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।


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