रायपुर – भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) भर्ती घोटाले से संबंधित मामले में रायपुर की एक विशेष अदालत में पांच व्यक्तियों के खिलाफ 2,000 पन्नों का चालान पेश किया है। आरोपियों में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक और तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव शामिल हैं।
चालान में आरती वासनिक, जीवन किशोर ध्रुव, उनके बेटे सुमित ध्रुव, दीपा आडील (तत्कालीन अध्यक्ष टी. सोनवानी के भाई की पुत्रवधु) और मिशा सोनवानी को मुख्य आरोपी बनाया गया है। अदालत में पेशी के बाद पांचों को 6 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया।
सीबीआई की जांच से संकेत मिलता है कि इन व्यक्तियों ने कथित तौर पर भर्ती परीक्षा में हेरफेर करने की साजिश रची थी। एजेंसी का दावा है कि उन्होंने "सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से अनियमितताओं में सहायता की", जिससे अयोग्य उम्मीदवारों और रिश्तेदारों को पद मिले, जिससे योग्य आवेदकों को नुकसान हुआ। जांच से पता चलता है कि भ्रष्टाचार में सीजीपीएससी अधिकारियों, व्यवसायी हस्तियों और अन्य लोगों का एक "संगठित सिंडिकेट" शामिल था।
एक प्रभावित उम्मीदवार ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, "हमने तैयारी के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन भ्रष्टाचार ने हमारे प्रयासों को बर्बाद कर दिया। अब हमें केवल न्याय की उम्मीद है।"
सीबीआई अधिकारियों ने पुष्टि की कि व्यापक जांच जारी है, और उन्होंने कहा कि "किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।" इस चालान को प्रारंभिक चरण माना जा रहा है, और आगे की गिरफ्तारियां और खुलासे अपेक्षित हैं। एजेंसी कथित नेटवर्क के भीतर अन्य अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिकाओं की भी जांच कर रही है। बताया गया है कि इस घोटाले ने राज्य में हजारों युवाओं का लोक सेवा परीक्षा प्रणाली की ईमानदारी पर से विश्वास हिला दिया है।