तमनार कोयला सत्याग्रह: आम आदमी पार्टी का समर्थन, आदिवासी अधिकारों की लड़ाई

रायगढ़ के तमनार में 16वें कोयला सत्याग्रह को आम आदमी पार्टी का मिला समर्थन। जानें क्यों यह आंदोलन आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन और स्थानीय लोगों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। #कोयलासत्याग्रह #तमनार #आपछत्तीसगढ़

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तमनार का 16वां कोयला सत्याग्रह: आदिवासियों की हुंकार, 'आप' का समर्थन, क्या यह बदलाव की शुरुआत?

रायगढ़ : रायगढ़ जिले के तमनार अंचल में खनन परियोजनाओं के खिलाफ दशकों से चल रहा संघर्ष एक नए मोड़ पर आ गया है। आगामी 3 अक्टूबर, 2025 को ग्राम पंचायत गारें में आयोजित होने वाले 16वें कोयला सत्याग्रह को अब एक बड़ी राजनीतिक शक्ति 'आम आदमी पार्टी' (आप) का खुला समर्थन मिल गया है। इस घोषणा ने न केवल स्थानीय आंदोलनकारियों में नया जोश भर दिया है, बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। यह सत्याग्रह सिर्फ कोयले के विरोध का नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, किसानों की उपजाऊ जमीन और मजदूरों के श्रम के सम्मान की लड़ाई बन गया है।

संघर्ष का इतिहास और उसकी जड़ें: क्यों जरूरी है यह सत्याग्रह?

तमनार क्षेत्र दशकों से कोयला खनन परियोजनाओं के विस्तार का दंश झेल रहा है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है, भूजल स्तर गिरा है, और उपजाऊ कृषि भूमि बंजर हो रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन परियोजनाओं ने हजारों आदिवासी परिवारों को अपनी पारंपरिक जल-जंगल-जमीन से विस्थापित किया है। इन विस्थापनों के बदले में मिला मुआवजा अक्सर अपर्याप्त रहा है, और पुनर्वास के वादे अधूरे रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीण, विशेषकर आदिवासी समुदाय, लगातार अपनी पैतृक संपदा और जीवनशैली को बचाने के लिए संघर्षरत हैं। कोयला सत्याग्रह इसी संघर्ष की एक कड़ी है, जो शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज कराता है और सरकार व खनन कंपनियों से जवाबदेही की मांग करता है। 15 सफल सत्याग्रहों के बाद, 16वां आयोजन एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहाँ इसे एक राष्ट्रीय पार्टी का खुला समर्थन मिल रहा है।

'आप' का समर्थन: एक रणनीतिक कदम या वास्तविक प्रतिबद्धता?

आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ ने इस आंदोलन को 'आदिवासी अस्मिता, किसानों की ज़मीन, मजदूरों की मेहनत और स्थानीय जनता के अस्तित्व व स्वाभिमान की रक्षा का प्रतीक' बताया है। पार्टी का यह कदम राज्य में अपनी पैठ मजबूत करने और जन-मुद्दों से जुड़ने की उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

प्रदेश नेतृत्व की हुंकार: आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और अनुसूचित जाति विंग के प्रदेश प्रभारी, रुसेन कुमार मिरी ने इस समर्थन पर जोर देते हुए कहा, "कोयला प्रभावित क्षेत्र के मजदूरों और किसानों का यह संघर्ष केवल उनका नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का संघर्ष है। यह न्याय और जीवन की रक्षा की लड़ाई है और आम आदमी पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।" मिरी का बयान स्पष्ट रूप से पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वे इस आंदोलन को केवल स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक राज्यव्यापी संघर्ष के रूप में देखते हैं।

लोकसभा अध्यक्ष की प्रतिज्ञा: रायगढ़ लोकसभा अध्यक्ष राजेंद्र एक्का ने भी सत्याग्रह को सफल बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, "तमनार का सत्याग्रह क्षेत्र की जनता की आवाज है। हम सब मिलकर इस आंदोलन को सफल बनाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो।" यह बयान इंगित करता है कि पार्टी इस मुद्दे को आगामी चुनावों में भी एक महत्वपूर्ण कारक बनाने की तैयारी में है।

जिला स्तर पर एकजुटता: रायगढ़ जिला अध्यक्ष गोपाल बापोड़िया ने भी जिले के प्रत्येक कार्यकर्ता को इस संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया है। उनके अनुसार, "यह केवल तमनार का ही नहीं बल्कि पूरे रायगढ़ और छत्तीसगढ़ के हक का प्रश्न है।" यह एकजुटता दर्शाती है कि पार्टी grassroots स्तर पर भी इस आंदोलन को मजबूत करना चाहती है।

स्थानीय कार्यकर्ताओं की आवाज: 'गारें चलों, गारें चलों' का नारा

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ, तमनार के स्थानीय कार्यकर्ता भी इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए कमर कस चुके हैं। वरिष्ठ कार्यकर्ता धनतरी सिदार ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "यह सत्याग्रह हमारी ज़िंदगी और ज़मीन बचाने का संकल्प है। रायगढ़ अंचल की सभी जनता से अपील है—गारें चलों, गारें चलों। और जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए संघर्ष करें।"

वरिष्ठ कार्यकर्ता अमित दुबे ने कोयला प्रभावित परिवारों के दर्द को साझा करते हुए इसे शोषण के खिलाफ एक ऐतिहासिक कदम बताया, जबकि कौशल प्रताप सिंह ने इसे जनता की शक्ति का प्रतीक करार दिया। इन आवाजों से स्पष्ट है कि यह आंदोलन अब केवल कुछ प्रभावित गांवों तक सीमित नहीं, बल्कि एक व्यापक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है।

भविष्य की राह: क्या 16वां सत्याग्रह लाएगा निर्णायक बदलाव?

आम आदमी पार्टी के इस समर्थन ने तमनार के कोयला सत्याग्रह को एक नई ऊर्जा प्रदान की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह राजनीतिक समर्थन आंदोलन को एक निर्णायक मोड़ पर ला पाएगा। क्या सरकार और खनन कंपनियां इस बढ़ते दबाव के आगे झुकेंगी और प्रभावितों की मांगों पर गंभीरता से विचार करेंगी?

यह सत्याग्रह केवल खनन के विरोध का नहीं, बल्कि उन आदिवासियों और किसानों की आवाज है जिन्हें विकास के नाम पर अक्सर हाशिए पर धकेल दिया जाता है। 'आप' का यह कदम छत्तीसगढ़ की राजनीति में खनन प्रभावित क्षेत्रों के मुद्दों को मुख्यधारा में लाने का काम कर सकता है। अगर यह आंदोलन सफल होता है, तो यह देश भर के उन समुदायों के लिए एक मिसाल बन सकता है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 3 अक्टूबर, 2025 को गारें में जुट रही भीड़ और 'आप' का समर्थन, आने वाले समय में तमनार के भाग्य को नया आकार दे सकता है।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

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