उदयपुर में छत्तीसगढ़ का जादू: शिक्षिका अर्पणा शर्मा ने राष्ट्रीय मंच पर बिखेरी राज्य की सांस्कृतिक छटा

बेमेतरा की शिक्षिका अर्पणा शर्मा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की 13 सदस्यीय टीम ने उदयपुर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में अपनी शानदार प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। जानें कैसे छत्तीसगढ़ की भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत ने जीता 13 राज्यों के 90 शिक्षकों का दिल।

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राजस्थान की धरती पर छत्तीसगढ़ का गौरव गान: बेमेतरा की शिक्षिका अर्पणा शर्मा के नेतृत्व में टीम ने राष्ट्रीय मंच पर लहराया परचम

उदयपुर, राजस्थान — "पढ़ेला जाबो रे..." जब यह पारंपरिक छत्तीसगढ़ी गीत उदयपुर के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र के सभागार में गूंजा, तो वहां मौजूद 13 राज्यों के 90 शिक्षक झूम उठे। यह पल सिर्फ एक गीत का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और जीवंतता का था, जिसे बेमेतरा जिले की शासकीय प्राथमिक शाला गर्रा की शिक्षिका अर्पणा शर्मा के नेतृत्व में 13 सदस्यीय टीम ने राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया। 'एनईपी 2020 के अनुरूप शिक्षा में कठपुतली की भूमिका' विषय पर आयोजित 15 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की टीम ने अपनी प्रस्तुति से न केवल सबका मन मोह लिया, बल्कि पूरे देश को छत्तीसगढ़ की अनूठी पहचान से रूबरू भी कराया।

एक अनोखी प्रस्तुति: छत्तीसगढ़ का परिचय विभिन्न आयामों में

कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत के साथ हुई, जिसने सभागार में मौजूद सभी प्रतिभागियों को राज्य के प्रति भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराया। इसके बाद अर्पणा शर्मा के साथ उमेश ठाकुर, नीलकंठ यादव और अंजलिना पीटर ने मिलकर छत्तीसगढ़ से संबंधित विस्तृत जानकारी विभिन्न परिप्रेक्ष्यों में प्रस्तुत की। उनकी प्रस्तुति सिर्फ तथ्यों का एक संग्रह नहीं थी, बल्कि एक ऐसी यात्रा थी जो छत्तीसगढ़ के हृदय तक ले जाती थी:

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  1. भौगोलिक और प्राकृतिक सौंदर्य: टीम ने छत्तीसगढ़ की अनूठी भौगोलिक स्थिति, उसकी घनी वन संपदा और जीवनदायिनी महानदी के बारे में बताया, जिसने श्रोताओं को राज्य की प्राकृतिक सुंदरता से अवगत कराया।

  2. समृद्ध आदिवासी संस्कृति: छत्तीसगढ़ की आत्मा उसकी आदिवासी संस्कृति में बसती है। टीम ने इसकी जीवंतता, परंपराओं और आदिवासी जीवनशैली के विविध रंगों को प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

  3. राजकीय प्रतीक: छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसा और राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के बारे में जानकारी दी गई, जो राज्य की विशिष्ट जैव विविधता का प्रतीक हैं।

  4. जनसांख्यिकीय अंतर्दृष्टि: विभिन्न जिलों में जनसंख्या के लैंगिक अनुपात पर प्रकाश डाला गया, जो सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है।

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    ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थ स्थल: टीम ने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों की एक विस्तृत सूची प्रस्तुत की, जिसमें चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर, वाल्मीकि आश्रम तुर्तुरिया, दंडकारण्य बस्तर, शिवरी नारायण मंदिर, सिरपुर का गंधेश्वर महादेव मंदिर, बौद्ध स्तूप और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च – रोज़री की महारानी महागिरजाघर शामिल थे। यह जानकारी छत्तीसगढ़ की धार्मिक सहिष्णुता और ऐतिहासिक गहराई को दर्शाती है।

शैक्षणिक और कलात्मक परिदृश्य का अनावरण

शिक्षकों को छत्तीसगढ़ के शैक्षणिक हब के बारे में भी विस्तार से बताया गया। इसमें इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, गुरु घासीदास सेंट्रल विश्वविद्यालय, पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, मोहम्मद हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, एम्स, एनआईटी और ग्यारह मेडिकल कॉलेजों की जानकारी शामिल थी। यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ न केवल अपनी संस्कृति बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

संगीत और कला के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का योगदान भी अविस्मरणीय है। पद्मश्री से सम्मानित तीजन बाई, झाडू राम देवांगन, पुनाराम निषाद, देवदास बंजारे, ममता चंद्राकर और कविता वासनिक जैसे महान कलाकारों के संगीत में योगदान को रेखांकित किया गया। छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय त्योहारों जैसे तीजा, पोरा, हरेली, गौरा गौरी, छेरछेरा, राजिम मेला की परंपराओं और उनसे संबंधित नृत्यों – करमा, ददरिया, सुआ, गेड़ी, राउत नाचा – के बारे में भी बताया गया।

आर्थिक और खेल जगत में छत्तीसगढ़ की पहचान

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प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधनों और औद्योगिक इकाइयों जैसे भिलाई इस्पात संयंत्र और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) कोरबा के महत्व को भी साझा किया गया। यह जानकारी राज्य के आर्थिक विकास और औद्योगिक शक्ति को उजागर करती है।

खेल और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को भी उचित सम्मान दिया गया। शहीद वीर नारायण सिंह, पंडित रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, पंडित सुंदरलाल शर्मा और वामन राव लाखे जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को याद किया गया। खेल जगत से अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज सानंद सलिल मित्रा, हॉकी खिलाड़ी सबा अंजुम (जिन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है), मुक्केबाज राजेंद्र प्रसाद (अर्जुन पुरस्कार विजेता) और क्रिकेटर अमनदीप खरे जैसे खिलाड़ियों की उपलब्धियों को भी प्रमुखता से बताया गया।

पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद और मनमोहक नृत्य

सांस्कृतिक प्रस्तुति का एक और आकर्षक पहलू छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों ठेठरी, खुर्मी, अइरसा, बरा, चीला, फरा और सलोनी के बारे में जानकारी देना था। टीम ने न केवल इन स्वादिष्ट व्यंजनों का परिचय दिया, बल्कि उनके बनाने की विधि भी बताई, जिससे दर्शकों को छत्तीसगढ़ के जायके का आभास हुआ।

कार्यक्रम के अंत में, करमा, सुआ, राउत नाचा और आदिवासी नृत्यों का मनमोहक प्रदर्शन किया गया। इन ऊर्जावान नृत्यों ने श्रोताओं को अपनी सीटों पर झूमने पर मजबूर कर दिया। "पढ़ेला जाबो रे" गीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसने खूब तालियां बटोरीं और छत्तीसगढ़ की टीम को एक अविस्मरणीय विदाई दी।

एक टीम, एक सपना: छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाना

इस 13 सदस्यीय टीम में बेमेतरा से अर्पणा शर्मा, रायपुर से अंजलिना पीटर, कोरबा से निशा अग्रवाल, कवर्धा से उमेश ठाकुर और दिलेश्वरी देवांगन, महासमुंद से नीलकंठ यादव, सरगुजा से प्रिया सिंह, धमतरी से पूर्णिमा मजुमदार, स्नेहलता कुर्रा, योगेश्वरी ध्रुव, नरेंद्र साहू, टीकराम कुंजाम और मेनका सिन्हा शामिल थीं। इन सभी शिक्षकों ने मिलकर उदयपुर में अपनी शानदार प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया और राष्ट्रीय मंच पर राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का परिचय दिया।

यह कार्यशाला सिर्फ कठपुतली कला सीखने का मंच नहीं थी, बल्कि विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों के आदान-प्रदान का एक माध्यम भी बनी। अर्पणा शर्मा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की टीम ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा और संस्कृति का मेल कैसे राष्ट्रीय एकता और पारस्परिक समझ को बढ़ावा दे सकता है। उनकी यह प्रस्तुति न केवल एक सांस्कृतिक विजय थी, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे ग्रासरूट स्तर के शिक्षक अपनी जड़ों से जुड़कर अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकते हैं।

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Dr. Tarachand Chandrakar

Senior Journalist & Editor, Nidar Chhattisgarh

Dr. Tarachand Chandrakar is a respected journalist with decades of experience in reporting and analysis. His deep knowledge of politics, society, and regional issues brings credibility and authority to Nidar Chhattisgarh. Known for his unbiased reporting and people-focused journalism, he ensures that readers receive accurate and trustworthy news.

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